SAFAR MERA!!..
- sumit singh

- Jan 7, 2018
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अब ना ख्वाहिशें कोई ना कोई चाह गम क्या, खुशी क्या अब ना कोई परवाह जिंदगी क इस सफर पर कई मिलें, कीतने हीं बिछड़े वक़्त के तकाजे पर सब साथ चले, थोड़ा-थोड़ा याद है सब कुछ, कुछ ना भूला मैं साथ जिनके, जितने पल बिताए हैं कुछ मेरे सांसों सें धूँधले है कुछ अभी भी अाँखो में समाये है अब जो भी है, जो कुछ भी था सब सीने में दबाये रखा है बस इन्हीं के सहारे मिट्टी में मिल जाने को रखा है।

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